हेलो दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि Tulsi Vivah 2022 में कब है? Tulsi Vivah क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है? शालिग्राम की पूजा का महत्व क्या है? विष्णु ने क्यों किया था तुलसी से विवाह, Tulsi Vivah 2022 पूजा समय क्या है? यह जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें जिससे कि इसके बारे में पूरी जानकारी आप लोगों को मिल सके।
Tulsi Vivah 2022
हिंदू धर्म में तुलसी जी की पूजा का विशेष महत्व है ऐसी मान्यता है कि तुलसी जी के ऊपर साक्षात लक्ष्मी जी निवास करती है महिलाओं के लिए तुलसी जी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है भगवान विष्णु आषाढ़ मास की शुक्ल एकादशी को 4 माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन ही योग निद्रा से जागते हैं योग निद्रा से जागने के बाद सबसे पहले भगवान विष्णु तुलसी से विवाह Tulsi Vivah करते हैं।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस कारण से हर वर्ष कार्तिक मास की द्वादशी के दिन महिलाएं तुलसी और शालिग्राम का विवाह करवाती है इस वर्ष Tulsi Vivah तुलसी और शालिग्राम का विवाह 5 नवंबर दिन शनिवार को करवाया जाएगा। आइए अब जानते हैं की इसके पीछे का इतिहास क्या है और मान्यताओं के बारे में जानते हैं।
विष्णु ने क्यों किया था तुलसी से विवाह
जलंधर नाम का एक राक्षस था और उसकी पत्नी वृंदा सती थी उसके सतीत्व को बिना भंग किए जलंधर को परास्त कर पाना संभव नहीं था भगवान श्री हरि ने छल से अपना रूप बदलकर वृंदा के सतीत्व को भंग कर दिया था और तब कहीं जाकर शिव शंकर ने जलंधर का वध करने में सफल हुए तब वृंदा ने इस छल के लिए भगवान श्री हरि को पत्थर में परिवर्तित हो जाने का श्राप दे दिया तब से श्री हरि पत्थर के रूप में ही रहते हैं और उनको शालिग्राम कहा जाता है।
अगले जन्म में वृंदा ने तुलसी के रूप में जन्म लिया भगवान श्री हरि ने वृंदा को यह आशीर्वाद दिया था कि बिना तुलसी दल के कभी भी उनकी पूजा पूरा नहीं होगा जिस तरह से भगवान शिव के विग्रह के रूप में शिवलिंग की पूजा अर्चना की जाती है उसी प्रकार से भगवान विष्णु के विग्रह के रूप में शालिग्राम की पूजा की जाती है शालिग्राम काले रंग का एक गोल पत्थर है जो नेपाल के गंडकी नदी के नीचे पाया जाता है इसमें एक छिद्र होता है और पत्थर के अंदर सस्त्र शंख गदा खुरदरा होता है।
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शालिग्राम की पूजा का महत्व क्या है
कार्तिक मास में भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करने से भाग्य का उदय होता है इस महीने शालिग्राम का पूजा करने से भाग्य और जीवन दोनों ही बदल सकता है शालिग्राम का विधि विधान से पूजा करने पर किसी भी प्रकार की बाधा और ग्रह बाधा परेशान नहीं करती है शालिग्राम जिस भी घर में तुलसी दल संग और शिवलिंग के साथ रहता है वहां पर हमेशा सुख संपदा संपन्नता बनी रहती है।
तुलसी विवाह 2022 पूजा समय
Tulsi Vivah 2022 मे 5 नवंबर दिन शनिवार
Tulsi Vivah तिथि 5 नवंबर दिन शनिवार (द्वादशी तिथि प्रारंभ 5:09 बजे से
द्वादशी तिथि समाप्त 7:47 बजे 6 नवंबर 2022 तक)
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घर पर ऐसे करें तुलसी जी का विवाह
देवउठनी एकादशी के दिन घर में तुलसी जी का विवाह Tulsi Vivah कैसे करें आइए जानते हैं आसान विधि-
- शाम के समय परिवार के सभी लोग इस तरह से तैयार हो जैसे कि किसी विवाह समारोह के लिए होते हैं।
- Tulsi Vivah के लिए एक तुलसी का पौधा एक पटे पर आगन या फिर पूजा घर मे बिल्कुल बीच में रखें।
- तुलसी के गमला के ऊपर गन्ने का एक मंडप बनाकर सजा ले।
- तुलसी पर सुहाग की सभी सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं।
- गमले में शालिग्राम जी को रखें।
- शालिग्राम जी को तिल चढ़ाएं क्योंकि इनको चावल नहीं चढ़ाया जाता है।
- तुलसी और शालिग्राम जी को दूध में भीगी हुई हल्दी लगाएं।
- इसके साथ ही गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप लगाएं और उसकी पूजा करें।
- हिंदू धर्म में विवाह के वक्त बोला जाने वाला मंगलाष्टक अगर बनता है तो वह अवश्य बोले।
- देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन से कुछ वस्तुओं को खाना आरंभ किया जाता है जैसे भाजी, मूली, आंवला, बेर इन सामग्रियों को पूजा में चढ़ाने के लिए अवश्य लाएं।
- कपूर को जलाकर आरती करें और नमो नमो तुलजा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी का जाप करें और प्रसाद चढ़ाएं
- इसके बाद तुलसी जी की परिक्रमा 11 बार करें।
- प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें और प्रसाद का वितरण अवश्य करें।
- पूजा समाप्त होने पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटे को उठा कर के भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें उठो देव सावरा भाजी, बेर, आमला, गन्ना की झोपड़ी में शंकर जी की यात्रा।
- इस आह्वान का अर्थ है कि हे सांवले सलोने देव भाजी, बेर, आमला चढ़ाने के साथ हम चाहते हैं कि आप जाग जाएं सृष्टि का कार्य भार को संभाले और शंकर जी को पुनः अपनी यात्रा करने की अनुमति दें।
- तुलसी माता से उनकी तरह पवित्रता का वरदान मांगे और इसी के साथ Tulsi Vivah संपन्न हो जाती है।
तुलसी विवाह की पौराणिक कथा
भगवान विष्णु की यह कहानी है जिसके कारण Tulsi Vivah के उत्सव को मनाया जाता है एक बार शिव शंकर ने अपने पेज को समुद्र में फेंक दिया था जिससे एक महा तेजस्वी बालक ने जन्म लिया यह बालक आगे चलकर जालंधर के नाम से प्रसिद्ध हुआ जो बड़ा ही पराक्रमी दैत्य राजा बना इसकी राजधानी का नाम जालंधर नगरी था राक्षसों के राजा कालनेमि की कन्या जिसका नाम वृंदा था और उसका विवाह राक्षस जालंधर से हुआ।
वह बनी सत्ता के मद में चूर होकर उसने माता लक्ष्मी जी को पाने की कामना से युद्ध किया लेकिन समुद्र से ही उत्पन्न होने के कारण माता लक्ष्मी जी ने जालंधर को अपने भाई के रूप में स्वीकार किया था वहां से वह पराजित होकर वह देवी पार्वती जी को पाने की लालसा से कैलाश पर्वत पर गया और शिव जी का रूप धारण करके वह माता पार्वती जी के पास गया लेकिन पार्वती जी ने अपने योग बल के कारण उसे तुरंत पहचान लिया और वहां से अंतर्ध्यान हो गई।
देवी पार्वती ने क्रुद्ध होकर सारी घटना भगवान विष्णु को बताया जालंधर की पत्नी वृंदा बहुत पतिव्रता स्त्री थी उसी के पतिव्रत धर्म की शक्ति कारण जालंधर को पराजित नहीं किया जा सकता था इसलिए जालंधर का वध करने के लिए विदा के पतिव्रत धर्म को भंग करना बहुत आवश्यक था तब भगवान विष्णु ने किसी का वेश धारण करके मन में पहुंचे जहां वृंदा अकेली भ्रमण कर रही थी।
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भगवान के साथ दो मायावी राक्षस भी थे जिन्हें देखकर वृंदा भयभीत हो गई थी ऋषि गोविंदा के सामने ही क्षणभर में दोनों राक्षसों को भस्म कर दिया उनकी शक्ति को देखकर महिला ने कैलाश पर्वत पर महादेव के साथ युद्ध कर रहे अपने पति जालंधर के बारे में पहुंचा किसी ने अपने माया जाल से दो वानरों को प्रकट किया एक वानर के हाथ में जालंधर का सिर्फ था और दूसरे के हाथ में घर अपने पति की इस दशा को देखकर मुंजा मूर्छित होकर गिर गई।
होश में आने पर उसे में ऋषि से विनती की कि वह उसके पति को जीवित कर दे भगवान ने अपनी माया से पुनः जालंधर के सिर को धड़ से जोड़ दिया और वह स्वयं उस शरीर में प्रवेश हो गए वृंदा को इस चलावे का तकनीकी भी आभास नहीं हुआ जालंधर बने भगवान के साथ वृंदा पतिव्रता का व्यवहार करने लगी जिसके कारण उसका सतीत्व नाश्ता हो गया ऐसा होते ही वृंदा का पति जालंधर युद्ध में हार गया।
जब वृंदा को इस चलावे का पता चला तो उसने क्रुद्ध होकर भगवान विष्णु को हृदय हीन शिला होने का श्राप दे दिया अपने भक्त के श्राप को भगवान विष्णु ने स्वीकार कर लिया और शालिग्राम पत्थर बन गए सृष्टि के पालनहार के पत्थर बन जाने के कारण ब्रह्मांड में असंतुलन की स्थिति बन गई यह देख कर सभी देवी देवताओं में वृंदा से प्रार्थना की वह भगवान विष्णु को श्राप से मुक्त कर दे।
तब वृंदा ने भगवान विष्णु को श्राप से मुक्त करके स्वयं आत्मदाह कर लिया और जहां पर वृंदा भस्म हुई वहां पर तुलसी का पौधा उग आया भगवान विष्णु ने वृंदा से कहा हे वृंदा तुम अपने सतीत्व के कारण मुझे लक्ष्मी जी से भी ज्यादा लोकप्रिय हो गई हो आप तो तुलसी के रूप में हमेशा मेरे साथ ही रहोगी तब से हर वर्ष कार्तिक महीने के देव उठानी एकादशी के दिन तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है।
जो मनुष्य मेरे सालगराम रूप के साथ तुलसी का विवाह करेगा उसे इस लोक और परलोक में यश प्राप्त होगा उसी राक्षस जालंधर की इस भूमि जालंधर नाम से प्रसिद्ध है सती वृंदा का मंदिर मोहल्ला कोट किशन चंद में स्थित है लोगों का कहना है कि इस स्थान पर एक प्राचीन गुफा भी थी जो सीधे हरिद्वार तक जाती थी 40 दिनों तक सच्चे मन से सती वृंदा देवी के मंदिर में पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां पर यम के दूत भी असमय नहीं जा सकते हैं मृत्यु के समय जिनके प्राण मंजरी रहित तुलसी और गंगाजल मुख में रखकर निकल जाते हैं वह पापों से मुक्त होकर सीधे बैकुंठ धाम को प्राप्त करते हैं जो मनुष्य तुलसी व आमला की छाया में अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं उनके पितर मोक्ष को प्राप्त हो जाते हैं।
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तुलसी विवाह कब मनाया जाता है?
तुलसी विवाह कार्तिक मास की द्वादशी के दिन मनाया जाता है।
तुलसी विवाह 2022 में कब है?
तुलसी विवाह 2022 में 5 नवंबर दिन शनिवार को है।
तुलसी विवाह मैं किसकी पूजा की जाती है?
तुलसी विवाह में तुलसी और शालिग्राम की पूजा की जाती है।
निष्कर्ष
हमें आशा है कि इस पोस्ट को पूरा पढ़ने के बाद आप लोगों को Tulsi Vivah से संबंधित सभी जानकारियां मिल गई होंगी की Tulsi Vivah क्यों मनाया जाता है? Tulsi Vivah मनाने के पीछे का क्या कारण है? Tulsi Vivah 2022 में कब है? Tulsi Vivah पूजा विधि क्या है? Tulsi Vivah पौराणिक कथा क्या है? और Tulsi Vivah महत्व के बारे में आपको अच्छे तरह से पूरी जानकारी मिल गई होगी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर जरूर करें जिससे कि उन लोगों को भी तुलसी विवाह से संबंधित जानकारी मिल सके। ऐसे ही और जानकारी जानते रहने के लिए सबस्क्राइब करना न भूलें।
धन्यवाद !
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