हेलो Everyone! आज हम बात करेंगे What is philosophy in Hindi, philosophy क्या है? दर्शनशास्त्र क्या है, What is philosophy वैसे तो philosophy अपने आप में एक वृहद विषय है जो कई भागों में विभाजित है हालांकि! हम यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ही चर्चा करेंगे ताकि आप लोगों का एक Concept बन सके philosophy के बारे में कि आखिर philosophy होती क्या है दोस्तों! philosophy हमारे mental growth के लिए responsible होते हैं इसी कारण से philosophy के बारे में जानना हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। तो चलिए अब बात करें What is philosophy in Hindi (दर्शनशास्त्र क्या है) के बारे में-
What is philosophy in Hindi | philosophy क्या है?
Philosophy शब्द की उत्पत्ति philosophia से हुआ जो एक ग्रीक शब्द है। वास्तव में Philosophy दो शब्दों से मिलकर बना है 1st “philos” जिसका अर्थ है ”प्रेम” and 2nd “sophia” जिसका अर्थ है “ज्ञान”।
Philosophy का अर्थ है ज्ञान से प्रेम करना ‘love of wisdom’
Philosophy is a search of knowledge and wisdom
हम philosophy मे Nature of existence, reality, human nature & behavior, Godness जैसे topic को Study करते हैं।
दोस्तों philosophy एक subject है! और इसके Human nature & behaviour जैसे कई Topic भी हैं जिसे study किया जाता है! इसके बावजूद हम में से कई लोग इन बातों को नहीं जानते है Philosophy हमें बताती है प्रकृति के बारे में! सच्चाई के बारे में फलस्वरूप भावनात्मक ज्ञानात्मक व कर्मयोग सभी प्रकार के ज्ञान का समायोजन है Philosophy.
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Philosophy definition | philosophy की परिभाषा
Philosophy बुनियादी चीजों के बारे में जैसे कि प्रकृति का अस्तित्व ज्ञान विचार या लोगों को कैसे रहना चाहिए इन सभी के सिद्धांतों का अध्ययन कर निर्माण करना ही Philosophy (दर्शन) है दर्शन एक विशेष सिद्धांत है जो किसी के पास या किसी विशेष स्थिति में कैसे रहना है या कैसा व्यवहार करना है इसके बारे में हमें बताती है।
कहा गया है! जिसके पास ज्ञान की लालसा है और ज्ञान को और बढ़ाने की उत्सुकता होती है! जो कभी भी असंतुष्ट नहीं है उसे सिर्फ एक दार्शनिक कहा जा सकता है! इसका मतलब है कि एक दार्शनिक विचार सील है नए विचारों और नए ज्ञान में व्यस्त रहता है।
Philosophy father | philosophy के जनक
Philosophy के जनक “सुकरात” को माना जाता है! इन्होंने ने ही western philosophy की नीव रखी अब सवाल यह उठता है कि सुकरात हैं कौन? Who was socrates? सुकरात का जन्म 469 ईसा पूर्व एथेंस के एक गांव में हुआ वैसे तो सुकरात ने खुद कोई किताब नहीं लिखी है इसलिए उनके बारे में जो भी जानकारी आज अस्तित्व में है वो उनके Student or other philosopher जैसे प्लेटो, अरस्तु, जीनोफोन के द्वारा मिलती है इन सभी के अलग–अलग विचार हैं सुकरात के बारे में इसलिए यह पता नहीं चल पाता कि क्या Fiction है और क्या fact.
सुकरात ने अपना ज्यादा समय एथेंस में ही बिताया है वह पहले एक Soldier थे फिर अपने पिता के कहने पर एक Stone cutter बने और आखरी में उन्होंने अपनी बाकी का जीवन philosophy को समर्पित किया सुकरात की एक मशहूर कहीं बात है know thyself जिसका मतलब है इंसान को सबसे पहले खुद को जानना सीखना होगा अपना व्यक्तित्व समझना होगा और अपनी सीमाओं को जानना होगा।
दार्शनिक सुकरात के बारे में अधिक जानकारी प्लेटो की लिखी किताबों से मिलती है! प्लेटो सुकरात के शिष्य थे इन्होंने सुकरात के द्वारा कही गई Statement & dialogue को उल्लेख अपने किताबों में किया है।
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पुछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. Philosophy of History ki Rachna किसने की है?
Philosophy of History ki Rachna Voltaire (वोल्टेयर) ने की है यह फ्रांस लेखक थे और एक दार्शनिक भी थे।
प्रश्न 2. फिलॉसफी का मतलब क्या होता है?
Philosophy शब्द की उत्पत्ति philosophia से हुआ जो एक ग्रीक शब्द है। वास्तव में Philosophy दो शब्दों से मिलकर बना है 1st “philos” जिसका अर्थ है ”प्रेम” and 2nd “sophia” जिसका अर्थ है “ज्ञान”।
Philosophy का अर्थ है ज्ञान से प्रेम करना ‘love of wisdom’
प्रश्न 3. फिलासफी के जनक कौन है?
Philosophy के जनक “सुकरात” को माना जाता है! इन्होंने ने ही western philosophy की नीव रखी है।
प्रश्न 4. दर्शन कितने प्रकार के होते हैं?
दर्शन मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते है और इन तीनों को भी विभाजित किया गया है जिसे आप दिये गए लिंक https://moralblog.in/3-branches-of-philosophy/ के माध्यम से जान सकते है।
Conclusion
finally हमने What is philosophy in Hindi के बारे मे यहा जाना है। philosophy को इस तरह समझ सकते हैं कि अपनी life में हम जो कुछ भी देखते हैं या महसूस करते हैं वह असल में हमारे दिमाग ने Create किया है अपने विचारों से अपनी knowledge से हम जैसा खुद के और दुनिया के बारे में सोचते हैं वह वैसी ही बन जाती है।
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