Court Marriage Process in Hindi: कई लोग परंपरागत विवाह के बजाय कोर्ट मैरिज का विकल्प चुनते हैं, क्योंकि यह एक सरल और कानूनी प्रक्रिया है जिसमें धर्म या रीति-रिवाजों की बाध्यता नहीं होती। कोर्ट मैरिज एक कानूनी प्रक्रिया है, जो विवाह के अधिकार को मान्यता देती है और इसे भारत में विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत संपन्न किया जाता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि Court Marriage kaise kare, इसके लिए क्या-क्या दस्तावेज़ जरूरी होते हैं, और प्रक्रिया कैसे पूरी होती है।
कोर्ट मैरिज क्या है?
Court Marriage kaise kare यह जानने से पहले यह समझना होगा की Court Marriage kya hai, कोर्ट मैरिज एक ऐसा कानूनी तरीका है जिससे दो व्यक्ति बिना किसी धार्मिक रीति-रिवाजों के तहत विवाह कर सकते हैं। यह प्रक्रिया विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत होती है, जो सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों।
क्यों लोग कोर्ट मैरिज चुनते हैं?
लोग कोर्ट मैरिज को इसलिए चुनते हैं क्योंकि यह सरल, कानूनी और सुरक्षित तरीका है। यह उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है जो पारंपरिक विवाह की जटिलताओं और खर्चों से बचना चाहते हैं।
Court Marriage के लिए आवश्यक शर्तें व पात्रता
कोर्ट मैरिज करने के लिए कुछ बुनियादी शर्तों का पालन करना जरूरी है:
- उम्र: लड़के की उम्र कम से कम 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए।
- सहमति: दोनों पक्षों की पूर्ण सहमति होनी चाहिए।
- अविवाहित होना: दोनों पक्षों को अविवाहित, तलाकशुदा या विधवा/विधुर होना चाहिए। अगर पहले से शादीशुदा हैं, तो कानूनी तौर पर तलाक हो चुका होना चाहिए।
- धर्म: कोर्ट मैरिज के लिए धर्म की बाध्यता नहीं होती। अलग-अलग धर्मों के व्यक्ति भी विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह कर सकते हैं।
- अन्य कानूनी शर्तें: विवाह करने वाले दोनों व्यक्तियों को मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए, और किसी अन्य से विवाहित नहीं होना चाहिए।
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Court Marriage के लिए आवश्यक दस्तावेज़
कोर्ट मैरिज के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है, जो इस प्रकार हैं:
- पहचान प्रमाण पत्र: आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड आदि।
- जन्म प्रमाण पत्र: जन्म तिथि और उम्र की पुष्टि के लिए।
- पता प्रमाण पत्र: दोनों पक्षों का निवास स्थान साबित करने के लिए।
- फोटोग्राफ: पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ (6-6 प्रति व्यक्ति)।
- तलाक/विधवा प्रमाण पत्र: अगर पहले किसी ने विवाह किया है और वह तलाकशुदा या विधवा/विधुर हैं, तो उसका प्रमाण पत्र।
- गवाहों की जानकारी: तीन गवाहों की आवश्यकता होती है जो आपकी शादी के गवाह बनेंगे। इनके पहचान प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता होती है।
कोर्ट मैरिज के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?
Court Marriage Process in Hindi: आप ऑनलाइन पोर्टल या नजदीकी कोर्ट में जाकर आवेदन कर सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन के लिए, संबंधित वेबसाइट पर जाकर फॉर्म भरना होता है और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करना पढ़ता है।
- आवेदन फॉर्म कैसे भरें?
आवेदन फॉर्म में दूल्हा और दुल्हन की व्यक्तिगत जानकारी, जन्म तिथि, पता और अन्य आवश्यक जानकारी भरनी होती है। इसके अलावा, गवाहों की जानकारी भी दर्ज करनी पढ़ती है। इसलिए भरोसे मंद कम से कम 2 बलिक गवाहो को जरूर तैयार कर ले।
Court Marriage Offline आवेदन प्रक्रिया
Court Marriage Process in Hindi: हम अब ऑफलाइन तरीके से यह जानेंगे की आप Court Marriage kaise kare-
Step 1: आवेदन पत्र दाखिल करें
कोर्ट मैरिज करने के लिए सबसे पहले आपको स्थानीय सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में जाकर एक आवेदन पत्र भरना होगा। यह आवेदन पत्र आपको और आपके साथी को एक साथ प्रस्तुत करना होगा। इसके साथ सभी आवश्यक दस्तावेज़ों की फोटोकोपी पिनअप करनी होगी।
Step 2: नोटिस जारी करना
आवेदन पत्र जमा करने के बाद रजिस्ट्रार आपके विवाह के बारे में 30 दिनों की नोटिस जारी करता है। यह नोटिस रजिस्ट्रार कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चिपकाया जाता है, ताकि किसी को भी आपके विवाह पर आपत्ति हो, तो वह इस अवधि के भीतर दर्ज कर सके।
Step 3: आपत्तियों का निवारण
अगर 30 दिनों के भीतर कोई आपत्ति नहीं आती है, तो रजिस्ट्रार कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया को आगे बढ़ा देता है। अगर कोई आपत्ति दर्ज होती है, तो उसे पहले निपटाया जाएगा।
Step 4: गवाहों की उपस्थिति में शादी
आपके और आपके साथी की कोर्ट मैरिज के लिए कम से कम तीन गवाहों की आवश्यकता होगी। यह गवाह आपके साथ विवाह रजिस्ट्रार के सामने उपस्थित होंगे और विवाह का साक्ष्य देंगे। गवाहों को भी अपने पहचान पत्र साथ लाने होते हैं।
Step 5: विवाह प्रमाण पत्र जारी करना
जब विवाह की सभी प्रक्रियाएँ पूरी हो जाती हैं, तो रजिस्ट्रार आपकी उपस्थिति में शादी को विधिवत मान्यता देता है और आपको एक विवाह प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। यह प्रमाण पत्र आपकी शादी का कानूनी साक्ष्य होगा, जिसे आप बाद में किसी भी सरकारी कार्य में उपयोग कर सकते हैं।
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कोर्ट मैरिज की फीस
- कितनी होती है कोर्ट मैरिज की फीस?
कोर्ट मैरिज की फीस अलग-अलग राज्यों में अलग हो सकती है, लेकिन सामान्यतः यह ₹500 से ₹1500 के बीच होती है। - भुगतान के तरीके
आप फीस का भुगतान ऑनलाइन या कोर्ट में जाकर कर सकते हैं।
विशेष विवाह अधिनियम 1954 का महत्त्व
- विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत विवाह:
यह अधिनियम उन व्यक्तियों के लिए है जो विभिन्न धर्मों से संबंध रखते हैं, और बिना किसी धार्मिक रीति-रिवाजों के कानूनी रूप से विवाह करना चाहते हैं। - इस अधिनियम के फायदे:
यह विवाह कानूनी रूप से मान्य होता है, और इसमें धर्म का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। इसके तहत किया गया विवाह सभी नागरिकों के लिए समान रूप से मान्य है।
कोर्ट मैरिज के लिए गवाहों की भूमिका
- कितने गवाहों की आवश्यकता होती है?
कोर्ट मैरिज के लिए दो गवाहों की आवश्यकता होती है। ये गवाह विवाह के कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं और उन्हें कोर्ट में उपस्थित होना अनिवार्य है। - गवाह बनने के लिए पात्रता:
गवाह बनने के लिए व्यक्ति की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए और वह मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए।
कोर्ट मैरिज की तारीख कैसे तय करें?
- आवेदन के बाद की प्रक्रिया: आवेदन करने के बाद, कोर्ट द्वारा एक महीने का नोटिस पीरियड दिया जाता है। इस दौरान कोई आपत्ति नहीं आने पर शादी की तारीख तय की जाती है।
- कोर्ट मैरिज की तारीख का निर्धारण: एक महीने के नोटिस पीरियड के बाद, कोर्ट में निर्धारित तारीख पर शादी होती है।
कोर्ट मैरिज की शपथ और प्रमाणपत्र
- विवाह की शपथ कैसे ली जाती है?
कोर्ट मैरिज के दौरान, दूल्हा और दुल्हन कोर्ट के सामने शपथ लेते हैं कि वे अपनी सहमति से विवाह कर रहे हैं। - कोर्ट मैरिज का प्रमाणपत्र कैसे प्राप्त करें?
विवाह के तुरंत बाद, कोर्ट द्वारा विवाह प्रमाणपत्र जारी किया जाता है, जो कानूनी रूप से मान्य होता है।
कोर्ट मैरिज में धर्म का कोई हस्तक्षेप नहीं
- धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत: कोर्ट मैरिज में धर्म का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। यह एक धर्मनिरपेक्ष प्रक्रिया है, जिसमें केवल कानूनी शर्तों का पालन किया जाता है।
- अंतरधार्मिक विवाह के लाभ: अंतरधार्मिक विवाह करने वाले व्यक्तियों के लिए कोर्ट मैरिज एक आदर्श विकल्प है, क्योंकि इसमें धार्मिक प्रक्रियाओं का कोई दबाव नहीं होता।
कोर्ट मैरिज के बाद की कानूनी प्रक्रिया
- विवाह प्रमाणपत्र का पंजीकरण: कोर्ट मैरिज के बाद विवाह प्रमाणपत्र को रजिस्टर करना अनिवार्य होता है। यह प्रमाणपत्र कानूनी दस्तावेज के रूप में कार्य करता है।
- अन्य कानूनी पहलू: विवाह प्रमाणपत्र को विभिन्न कानूनी प्रक्रियाओं जैसे वीज़ा आवेदन, नाम परिवर्तन आदि के लिए उपयोग किया जा सकता है।
कोर्ट मैरिज और सामाजिक स्वीकृति
- परिवार और समाज की प्रतिक्रिया: कुछ मामलों में, परिवार और समाज कोर्ट मैरिज को स्वीकार करने में समय लेते हैं। हालांकि, समय के साथ सामाजिक स्वीकृति बढ़ रही है।
- समाज में कोर्ट मैरिज की स्वीकृति: आजकल कोर्ट मैरिज को समाज में तेजी से स्वीकृति मिल रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में।
Court Marriage के लाभ
- कानूनी सुरक्षा: यह शादी कानूनी रूप से मान्य होती है, जो आपको और आपके साथी को कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है।
- सरल प्रक्रिया: पारंपरिक शादी की तुलना में कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया अधिक सरल और कम खर्चीली होती है।
- धर्म और जाति की स्वतंत्रता: आप किसी भी धर्म, जाति या पंथ के व्यक्ति से शादी कर सकते हैं। धर्म परिवर्तन की कोई आवश्यकता नहीं होती।
- न्यूनतम औपचारिकताएँ: इसमें न्यूनतम औपचारिकताओं और दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष
कोर्ट मैरिज एक आसान, सुरक्षित और कानूनी रूप से मान्य तरीका है, जो उन लोगों के लिए एक आदर्श है जो बिना धार्मिक रीति-रिवाजों के विवाह करना चाहते हैं। Court Marriage की प्रक्रिया सरल और किफायती है, और इसमें धर्म, जाति या पारिवारिक पृष्ठभूमि का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। इस पोस्ट मे हमने Court Marriage Process in Hindi/Court Marriage Kaise Kare यह जाना है, आशा करते है इस पोस्ट के माध्यम से आप अब अच्छी तरह समझ गए होंगे की Court Marriage कैसे किया जाता है। इस पोस्ट को अपने उन दोस्तो के साथ जरूर शेयर करे जो Court Marriage करना चाहते है या करने की सोच रहे है, पोस्ट के अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
Court Marriage Process in Hindi (FAQs)
क्या कोर्ट मैरिज करने के लिए दोनों पक्षों की सहमति आवश्यक है?
हाँ, दोनों पक्षों की सहमति अनिवार्य है।
कोर्ट मैरिज का प्रमाणपत्र कितने समय में मिल जाता है?
शादी के तुरंत बाद प्रमाणपत्र मिल जाता है।
क्या बिना गवाहों के कोर्ट मैरिज हो सकती है?
नहीं, कोर्ट मैरिज के लिए गवाहों की आवश्यकता होती है।
क्या कोर्ट मैरिज के बाद पारंपरिक विवाह करना आवश्यक है?
नहीं, यह वैकल्पिक है।
कोर्ट मैरिज और रजिस्टर्ड मैरिज में क्या अंतर है?
कोर्ट मैरिज एक कानूनी प्रक्रिया है, जबकि रजिस्टर्ड मैरिज पारंपरिक शादी के बाद होती है।