Ketki ka phool kaisa hota hai | केतकी का फूल कैसे हुआ श्रापित

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हेलो दोस्तों आज की इस पोस्ट में ketki ke phool के बारे में जानने वाले हैं की Ketki ka phool kaisa hota hai, केतकी फूल भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है या नहीं, ketki ke ped में फूल कब लगते हैं, यह कहां कहां पाया जाता है, इसका उपयोग किस में किया जाता है, यह कितने प्रकार के होते हैं, अगर आप भी यह सब जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।

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ketki ka phool

   

Ketki ka phool kaisa hota hai

दुनिया भर में फूलों की कई प्रजातियां पाई जाती है, सभी फूलों की जानकारी को याद रख पाना इंसानों के लिए असंभव है। सभी फूलों का हमारे जीवन में विशेष महत्व होता है ketki ka phool एक प्राचीन फूल है जिसका धार्मिक कथाओ मे भी इसका उल्लेख किया गया है, भगवान शिव जी की पूजा करने में इसका उपयोग नहीं किया जाता है इसके पीछे का कारण क्या है इसके बारे में भी आगे हम जानेंगे ।

केतकी को महकदार झाड़ी माना जाता है, यह एक बहुत ही सुगंधित फूल होता है इसकी पत्तियां लंबी,  मुलायम, चिकना, नुकीला और चपटा होता है इसके पीछे की ओर कांटे भी पाए जाते हैं। केतकी को केवड़ा के नाम से भी जानते हैं, केतकी को उनके फूलों की पत्तियों के रंग के आधार पर दो प्रकार में बांटा गया है –

  1. जिस केतकी के पौधे पर पत्तियों का रंग सफेद होता है उसे केवड़ा कहा जाता है।
  2. जिस पौधे पर पत्तियों का रंग पीला होता है उसको सुवर्ण केतकी कहा जाता है।

केतकी का फूल भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता

भगवान शिव को केतकी का फूल चढ़ाया जाना पसंद नहीं है, इससे वह खुश होने की जगह पर आपसे नाराज भी हो सकते हैं। भगवान शिव को केतकी फूल पसंद ना होने का कारण पौराणिक है, प्राचीन काल में भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा में इन दोनों के बीच इस बात को लेकर बहस छिड़ गई की दोनों में सबसे ज्यादा श्रेष्ठ कौन है तभी एक भयंकर शिवलिंग प्रकट हुआ और तब यह शर्त लगी कि जो भी इस शिवलिंग के छोर को सबसे पहले छूकर आएगा वही सबसे ज्यादा श्रेष्ठ कहलायेगा। 

दोनों इस शर्त को पूरा करने के लिए अलग-अलग छोर की ओर चले गए भगवान विष्णु को छोर नहीं मिला और वह वापस लौट कर आ गए और इसके बाद ब्रह्मा जी ने भी वापस लौट कर आ गए और झूठ बोल दिया कि वह छोर को छू कर आ गए हैं और इस बात की पुष्टि के लिए उन्होंने केतकी फूल को साक्ष्य  बनाया तब भगवान शिव प्रकट हो गए और केतकी को इस झूठ बोलने के लिए श्राप दे दिया की केतकी फूल कभी भी उनकी पूजा में उपयोग नहीं किया जाएगा।

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केतकी का फूल कब खिलता है

Ketki ka phool ka ped – केतकी के पेड़ मे फूल सावन का महीना आने पर खिलने लगता है, यानी कि वर्षा रितु के मौसम में यह ज्यादातर देखने को मिलता है। जब केतकी का फूल खिलता है तब आसपास का वातावरण उसकी महक से सुगंधित हो जाता है जिससे दूर से ही पता चल जाता है कि उस एरिया में केतकी का पेड़ है।

केतकी का पेड़ कैसा होता है, यह कैसा दिखाई देता है यह आप नीचे चित्र में देख सकते है। 

Ketki ka phool kaisa hota hai | केतकी का फूल कैसे हुआ श्रापित

यह लगभग खजूर के पेड़ के समान ही दिखाई देता है केतकी के पेड़ की ऊंचाई 4 मीटर के लगभग होती है यानी 12 फुट तक होता है केतकी का पेड़ ताड़ के समान होता है जिसमें लचीला ट्रंक होता है इसकी पत्तियां चमकदार व 40 से 70 सेंटीमीटर तक लंबी होती है और इसका रंग नीला हरा होता है जो शाखाओं के सिरों पर तलवार के आकार के समान गुच्छा में फूलता है जिसका मुख्य रूप से उपयोग इत्र बनाने के लिए किया जाता है।

केतकी के पौधे में फूल कब लगते हैं

केतकी के पौधे में बरसात के मौसम में फूल लगते हैं इसकी फूलों में सुगंध बहुत तेज होती है फूलों में लगी हुई पत्तियां लंबी होती है और पीछे से पत्तियां ढकी हुई रहती है इसके फूलों से सुगंधित इत्र बनाया जाता है और इसका उपयोग पानी को सुगंधित बनाने में भी किया जाता है। 

केतकी का फूल कहां पाया जाता है

केतकी फूल को एक दुर्लभ फूल माना जाता है, यह फूल केवल उत्तर प्रदेश के मोहम्मदी नगर में एक बाग में खिलता है और यह अपनी सुगंध से पूरे बाग को सुगंधित कर देता है। इस फूल के इतना दुर्लभ होने का क्या कारण है वैज्ञानिक ढूंढ रहे हैं, ऐसा माना जाता है कि इसके ऊपर भंवरा नहीं बैठते हैं जिसके कारण यह इतना दुर्लभ होता है। 

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मोहम्मदी नगर के एक आदमी ने दूसरी जगह पर केतकी के फूल को उगाने की कोशिश की थी परंतु वह इस काम में सफल नहीं हो पाए लेकिन एक गांव में यह ketki ka phool पनप तो गया परंतु उस पर कई दिनों तक फूल नहीं आया और जब फूल आया भी तो उसकी गुणवत्ता मोहम्मदी नगर के बाग जैसा नहीं था। 

केतकी का फूल के प्रयोग

केतकी फूल का सबसे मुख्य गुण उसकी खुशबू है जिसके कारण इसका ज्यादातर उपयोग हर चीज को सुगंधित बनाने के लिए किया जाता है इससे बने इत्र से पानी को सुगंधित बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। इससे पानी में उपयोग किया जाने वाला कथा को भी सुभाषित किया जाता है। इसकी पत्तियों का उपयोग छाता, चटाई और टोपी बनाने में किया जाता है और इसके तने का उपयोग बोतल को बंद करने के लिए कोक बनाने में किया जाता है इसकी पत्तियों को सब्जी बनाने के रूप में भी किया जाता है। 

Ketki ka phool in English

केतकी संस्कृत भाषा है जिसका अर्थ होता है पुष्पीका केतकी को हिंदी भाषा में केवड़ा भी कहा जाता है इस पौधे का वानस्पतिक नाम पेंडनस  ओडोरैटिसिमस है अंग्रेजी भाषा में इसे Umbrella tree (अंब्रेला ट्री) या Screwpine (स्क्रूपाइन) के नाम से भी जाना जाता है। 

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चंपा और केतकी में अंतर

चंपा और केतकी के पौधे दोनों ही फूल देने वाले श्रेणियों में आते हैं लेकिन इनमें कई अंतर है जो इनको एक दूसरे से अलग करते हैं परंतु दोनों फूलों में खास बात यह है कि इन फूलों को भगवान शिव की पूजा में उपयोग नहीं किया जाता है इन दोनों फूलों को झूठ बोलने के कारण श्राप मिला है। केतकी की कथा को तो ऊपर हमने बता दिया है चंपा फूल की कथा भी बड़ी रोमांचक है। 

चंपा का फूल भगवान शिव को सभी फूलों से ज्यादा पसंद है एक ब्राह्मण प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा चंपा के फूल अर्पित कर के किया करता था जिसके कारण भगवान उस ब्राह्मण से बहुत खुश रहते थे एक दिन नारद जी ने चंपा के पेड़ से उसके खाली डाली को देखकर पूछा कि क्या तुम्हारे फूलों को किसी ब्राह्मण ने गलत इरादे से तोड़ा है। 

तब चंपा के फूल ने नारद जी से मना कर दिया लेकिन जब नारद जी ने शिवलिंग को चंपा के फूल से ढका हुआ देखा तो उन्हें समझने में देर नहीं लगेगी उसी ब्राह्मण ने भगवान की पूजा की है और भगवान शिव ने उससे खुश होकर उसकी सभी इच्छाएं भी पूरी की है ब्राह्मण एक शक्तिशाली राजा भी बन गया था जिसके कारण वह सभी गरीब लोगों को बहुत परेशान किया करता था। 

जब नारद जी ने भगवान शिव से उसकी इच्छाओं को पूरा करने का कारण पूछा तब उन्होंने जवाब दिया कि वह प्रतिदिन चंपा के फूल मुझे अर्पित किया करता था जिससे वह बहुत खुश थे और जब नारद जी ने वापस चंपा के पेड़ के पास वापस गए तब उसे झूठ बोलने के कारण यह श्राप दे दिया की तुम्हारे फूल का उपयोग भगवान शिव की पूजा में नहीं किया जाएगा।

चंपा के फूल में यह अंतर है कि चंपा को अंग्रेजी में प्लूमेरिया कहते हैं चंपा के फूल खूबसूरत मंद सुगंध यह हल्के सफेद पीले फूल होते हैं।

केतकी के फूल कितने प्रकार के होते हैं

केतकी के फूल दो प्रकार के होते हैं इनमें से एक का नाम केवड़ा और दूसरा नाम सुवर्ण केतकी है इनके यह प्रकार इनकी पत्तियों के रंगभेद के कारण बनाया गया है जिस फूल में सफेद कलर की पत्तियां पाई जाती है उसे केवड़ा कहा जाता है और पीली पत्ती वाले फूल को सुवर्ण केतकी कहा जाता है। 

केतकी फूल की शान

मोहम्मदी नगर के वर्तमान विधायक श्री लोकेंद्र प्रताप जी का कहना है कि इतिहास में मोहम्मद भी नगर एक ऐतिहासिक नगर रहा होगा क्योंकि अट्ठारह सौ सत्तावन की स्वतंत्रता क्रांति के समय मोहम्मदी एक जिला था और स्वतंत्रता संग्राम में इसका बड़ा योगदान रहा होगा क्योंकि यहां पर खिलने वाला केतकी फूल सिर्फ मोहम्मद भी जिले का ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश राज्य की शान है। 

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पूछे जाने वाले प्रश्न 

केतकी के फूल की पहचान क्या है?

केतकी का फूल सफेद और पीले रंग के होते हैं।

केतकी को हिंदी में क्या बोलते हैं?

केतकी को हिंदी में केतकी ही बोलते हैं यह एक हिंदी नाम ही है इस फूल को सामान्यतया लोग केवड़ा भी कहते हैं। 

केतकी को इंगलिश में क्या बोलते हैं?

अंग्रेजी भाषा में इसे Umbrella tree (अंब्रेला ट्री) या Screwpine (स्क्रूपाइन) के नाम से भी जाना जाता है। 

केतकी का वानस्पतिक नाम क्या हैं?

इस पौधे का वानस्पतिक नाम पेंडनस  ओडोरैटिसिमस है।

केतकी के फूल का दूसरा नाम क्या है?

केतकी के फूल का दूसरा नाम केवड़ा है।

केतकी के फूल की क्या पहचान है?

केतकी का फूल सफेद और पीले रंग का होता है सफेद रंग वाले केतकी के फूल को केवड़ा कहा जाता है और जो पीले रंग का होता है उसे स्वर्ण केतकी कहा जाता है।

केतकी को हिंदी में क्या बोलते हैं?

केतकी के फूल को हिंदी में केवड़ा बोलते हैं।

केतकी का फूल कहां पाया जाता है?

केतकी का फूल पूरे भारत में सिर्फ उत्तर प्रदेश मोहम्मदी नगर में पाया जाता है।

निष्कर्ष

हमें आशा है कि इस पोस्ट को पढ़कर आप को यह पता चल गया होगा कि Ketki ka phool kaisa hota hai? और इसे भगवान शिव पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता है। यह पोस्ट कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताएं और इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर जरूर करें ऐसे ही जानकारी पाते रहने के लिए सबस्क्राइब करना न भूले। हम आप के लिए ऐसे ही जानकारी लाते रहते है। 

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